पूर्वांचल में छात्र आंदोलनों की भूमिका और स्वतंत्रता संग्राम
सार
पूर्वांचल क्षेत्र में छात्र आंदोलनों ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन आंदोलनों की शुरुआत सामाजिक-राजनीतिक असंतोष से हुई, जब छात्रों ने ब्रिटिश सत्ता और स्थानीय शासकों के अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई (Rajimwale, 2001)। इन आंदोलनों में छात्रों ने स्वतंत्रता के प्रति अपने आक्रोश को व्यक्त करने के साथ-साथ राष्ट्रीयता की भावना को जागृत किया। छात्र नेताओं ने अपने विचारों और नेतृत्व क्षमताओं के माध्यम से आंदोलन को सक्रिय किया। उन्होंने स्वतंत्रता के लिए चलाए गए उपायों में भाग लिया और समाज में बदलाव के लिए प्रेरित किया। इनमें प्रमुख आंदोलनों की भूमिका ऐसी रही कि उन्होंने जनता में स्वतंत्रता के विरोध में सक्रियता को जन्म दिया (Das Gupta, 1995)। बार-बार दमन का सामना करने के बावजूद, छात्रों ने अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए साहस का परिचय दिया। इन आंदोलनों का प्रभाव स्वतंत्रता संग्राम के व्यापक आंदोलन को समर्थन देने तथा युवाओं में जागरूकता एवं सेना की भावना जागृत करने में सहायक रहा। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी इन आंदोलनों का प्रभाव कई क्षेत्रों में देखा गया, जब शैक्षिक, सामाजिक तथा राजनीतिक जागरूकता ने लोगों में नई ऊर्जा का संचार किया। इस तरह, पूर्वांचल में छात्र आंदोलनों का योगदान स्वतंत्रता संग्राम में प्रेरक और निर्णायक भूमिका रहा, जिन्होंने न केवल आजादी के संघर्ष को मजबूत किया, बल्कि समाज में बदलाव का मार्ग भी प्रशस्त किया।
मुख्य शव्द: सामाजिक-राजनीतिक, स्वतंत्रता संग्राम, छात्र आंदोलन, अदि ।