21वीं सदी में गांधीवादी शिक्षा और NEP 2020: मूल्य-आधारित शिक्षा का पुनर्परिभाषण

लेखक

  • विनोद कुमार मिश्रा शोधार्थी, शिक्षक शिक्षा विभाग, श्री लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज, गोंडा ##default.groups.name.author##
  • डॉ. लोहंस कुमार कल्याणी शोध निर्देशक, असिस्टेंट प्रोफेसर, शिक्षक शिक्षा विभाग, श्री लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज, गोंडा ##default.groups.name.author##

सार

भारत में 21वीं सदी की शिक्षा व्यवस्था में गांधीवादी शिक्षा का पुनर्परिभाषण आवश्यक है, क्योंकि यह मानवीय मूल्यों, नैतिकता और सामाजिक जिम्मेदारी पर केंद्रित है। इसके सिद्धांत सत्य, अहिंसा, स्वावलंबन और समाज सेवा को प्रोत्साहित करते हैं, जो व्यक्तित्व विकास, सामाजिक समरसता और टिकाऊ विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। नई शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) में मूल्य-आधारित शिक्षा को शामिल किया गया है, जिससे नैतिकता, करुणा और सामाजिक उत्तरदायित्व का विकास संभव हो सके। यह नीति शिक्षण विधियों में नए प्रयोग करके गांधीवादी मूल्यों को शिक्षा में समाहित करने का प्रयास कर रही है। गांधीवादी शिक्षा का मॉडल प्रभावी है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में चुनौतियाँ हैं, जैसे पारंपरिक मानसिकता और संसाधनों की कमी। शिक्षकों का व्यावसायिक विकास, पाठ्यक्रम में संशोधन और सक्षम नीतियों का क्रियान्वयन जरूरी है। गांधीवादी शिक्षा और NEP 2020 का मेल नैतिकता, सामाजिक जागरूकता और व्यक्तित्व के विकास को मजबूत कर सकता है।

मुख्य शव्द: गांधीवादी शिक्षा, सामाजिक समरसता, मूल्य-आधारित शिक्षण, नई शिक्षा नीति 2020 अदि |

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प्रकाशित

2025-09-23

अंक

खंड

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